डूँगरपुर के 12 ज्योतिर्लिंग
जिसके दर्शन कर आप महादेव की अनुभूति स्वयं करेंगें। अनादिकाल से वागड़ शिवजी का कृपापात्र रहा हैं, भगवान आशुतोष यहां कई बार प्रकट हुए हैं जो ज्योतिर्लिंग बन गए है आप जानिए वो कौनसे हैं -
1. देव सोमनाथ - डूँगरपुर से 24 किमी दूरी पर देवगांव में है । जो वागड़ का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग हैं ।
सौराष्ट्र में सोमनाथ की भांति यहाँ विशाल मंदिर स्थित हैं जो स्थापत्य कला की दृष्टि से खासा महत्व रखता हैं । जिस तरह समुद्र तट पर सोमनाथ बिराजे हैं, वैसे ही यहाँ भी नटी तट पर देव सोमनाथ विराजमान हैं।
2. गोरेश्वर महादेव -जो सागवाड़ा से 12 किमी दूरी पर नदी किनारे हैं । यहाँ आस पास मन्दिर , घाट बने हुए हैं । मल्लिकार्जुन को भाँति यह ज्योतिर्लिंग वागड़ में काफी चमत्कारी रहा हैं।
3. सिद्धनाथ ठाकरडा -यह सागवाड़ा के पश्चिम में डूँगरपुर मुख्य मार्ग से थोड़ा अंदर ठाकरडा गाँव में हैं जो भगवान शिव का आशीर्वाद स्वरूप पुत्र प्राप्ति जैसी मनोकामना पूरी करता हैं । यह महाकालेश्वर की भांति हर मनोकामना पूरी करता हैं। जिस प्रकार मध्यप्रदेश में देश के मध्य महाकालेश्वर हैं वैसे ही ये डूँगरपुर के मध्य में हैं।
4. क्षीरेश्वर महादेव -सागवाड़ा के समीप यह खड़गदा - अंबाडा के पास स्थित निरंजनी अखाड़े के साधुओं का गढ़ रहा हैं, यह प्रसिद्ध मंदिर ओंकारेश्वर की भांति दर्शनीय स्थान हैं । मोरन नदी के तट पर प्राचीन मठ और प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है,जंगल के बीचों-बीच मोरन तट पर क्षीरेश्वर मंदिर स्थित हैं।
5 पाडली गुजरेश्वर - यह विकासनगर से पूर्व दिशा में प्रसिद्ध मंदिर हैं, यह डूंगरपुर-धम्बोला सड़क पर पाडली गाँव में स्थित हैं। आदिवासियों के लिए यह मंदिर विशेष आराध्य है यहां विशाल कल्पवृक्ष हैं। इसकी तुलना नागेश्वर से कर सकते हैं ।
6.भुवनेश्वर महादेव -यह डूँगरपुर से लगभग 15 किमी पश्चिम दक्षिण में बिछीवाड़ा रोड पर छोटे से गांव की मुख्य सड़क पर पहाड़ी की गोद में स्थित श्री वैधनाथ महादेव के सदृश्य अति प्राचीन मंदिर हैं यहाँ हमेशा दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता हैं।
7. कटकेश्वर महादेव -यह मंदिर आसपुर तहसील के कतीसोर गाँव के पास स्थित हैं यहाँ विशाल मंदिर व परिसर हैं तथा सामने श्मशान घाट हैं, यहाँ जाने पर आपको भीमाशंकर महादेव के दर्शन का लाभ मिलता हैं। इस मंदिर का शिवलिंग भी स्वयंभू हैं ।
8. गामड़ी देवकी -डूँगरपुर में गामड़ी देवकी के महादेव के स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करना त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिलिङ्ग के दर्शन करने के समान हैं , इस मंदिर में देवाधिदेव महादेव साक्षात विराजमान हैं, इनके दर्शन से पाप, ताप व संताप का तुरन्त शमन हो जाता हैं ।यहाँ मन्दिर के बाहर रतिक्रीड़ा की मूर्तियां भी हैं। इसे वागड़ का खुजराहो भी कहते हैं।
9. सलारेश्वर पीठ -यह डूँगरपुर के सीमलवाड़ा तहसील के पीठ कस्बे में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, श्री घुश्मेश्वर महादेव की भांति इसकी महिमा अपरंपार हैं । यहाँ वागड़ और राजस्थान से ही नहीं बल्कि गुजरात से भी काफ़ी दर्शनार्थी आते हैं। हाल ही के वर्षों में इसका जीर्णोद्धार करके भव्य मंदिर बनाया गया हैं।
10 . जेतोलेश्वर ओड -केदारनाथ की भांति पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर गुप्त था , विगत 5-7 वर्षों में खासा प्रसिद्ध हुआ । जो पाडवा और सागवाड़ा के बीच ओड गाँव के पूर्व में 2 किमी दूरी पर हैं।
11 . बेणेश्वर महादेव - संत मावजी के धाम पर स्थित यह मंदिर काशी विश्वनाथ की भांति पहाड़ी पर त्रिवेणी संगम पर स्थित हैं। इसके दर्शन मात्र से जीवन धन्य हो जाता हैं।
12 . बोरेश्वर महादेव -यह डूँगरपुर के अंतिम छोर में बाँसवाड़ा की सीमा पर नदी के पास स्थित हैं। यहाँ का रमणीय वातावरण और महादेव की लिंग के दर्शन कर लगता हैं, यहाँ भगवान राम ने सेतु बन्ध हेतु इसे स्थापित किया हो।
। हर हर महादेव ।
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